बुद्ध पूर्णिमा विशेष: गौतम से बुद्ध बनने की प्रेरक यात्रा – 23-05-2024

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बुद्ध पूर्णिमा विशेष: गौतम बुद्ध को ध्यान के दौरान संसार के दुखों और उनके निवारण का ज्ञान प्राप्त हुआ। उन्होंने दुखों के निवारण के लिए अष्टांगिक मार्ग को सही रास्ता बताया।

बुद्ध पूर्णिमा विशेष: गौतम से बुद्ध बनने की प्रेरक यात्रा - 23-05-2024

सिद्धार्थ गौतम की प्रेरणादायक यात्रा

  • सिद्धार्थ का महल छोड़ना:
  • सिद्धार्थ गौतम रात में महल से निकले।
  • सारथी छन्ना के साथ अनोमा नदी के किनारे पहुंचे।
  • नदी पार कर बाल काटे और तलवार, केश, घोड़े की लगाम छन्ना को देकर वापस भेजा।
  • 29 वर्ष की उम्र में नई यात्रा की शुरुआत:
  • ज्योतिषियों ने सिद्धार्थ के महान सम्राट या महान संन्यासी होने की भविष्यवाणी की।
  • राजा ने सिद्धार्थ को महल में ही रखा।
  • सिद्धार्थ ने करुणा से प्रेरित होकर नई यात्रा शुरू की।
  • निरंजना नदी के तट पर तपस्या:
  • छह वर्षों की साधना के बाद भी जिज्ञासा शांत नहीं हुई।
  • निरंजना नदी के किनारे तप और ध्यान में लगे।
  • एक रात लगा कि शरीर को कष्ट देने से कुछ नहीं मिलेगा।
  • नदी में स्नान कर उरुवेला गांव की ओर चले।
  • रास्ते में बेहोश हो गए और सुजाता नामक स्त्री ने खीर खिलाई।
  • पीपल के वृक्ष के नीचे समाधि:
  • गौतम ने पीपल के वृक्ष के नीचे ध्यान लगाकर समाधि ली।
  • चार सप्ताह के ध्यान के बाद संसार के दुखों और उनके निवारण का ज्ञान प्राप्त हुआ।
  • इसके बाद वे वाराणसी के सारनाथ में मृगदाय गए।
  • बुद्ध का संदेश:
  • पहले पांच भिक्षुओं ने बात नहीं की, लेकिन बाद में बुद्ध की वाणी ने सुनने पर मजबूर किया।
  • बुद्ध ने समझाया कि संसार में दुख है, इसका कारण है और निवारण संभव है।
  • निवारण का मार्ग अष्टांगिक मार्ग है।
  • सत्य, अहिंसा, अपरिग्रह और ब्रह्मचर्य का पालन जरूरी है।
  • बुद्धम शरणम गच्छामि:
  • भिक्षुओं को संबोधित करते हुए बुद्ध ने कहा, “सभी संस्कार अनित्य हैं। अपने लक्ष्य की प्राप्ति में लगे रहो।”
  • वैशाख की पूर्णिमा की चांदनी शांति का संदेश दे रही थी।
  • वातावरण में आवाज गूंज रही थी – “बुद्धम शरणम गच्छामि, धम्मम शरणम गच्छामि, संघम शरणम गच्छामि।”

सिद्धार्थ का महल छोड़ना
सिद्धार्थ गौतम अपने सारथी छन्ना के साथ रात को महल छोड़कर निकल गए। पौ फटने से पहले वे अनोमा नदी के किनारे पहुंचे। नदी पार करके सिद्धार्थ ने अपने बाल काटे और अपनी तलवार, केश, और घोड़े की लगाम छन्ना को देकर उसे वापस भेज दिया।

29 वर्ष की उम्र में नई यात्रा की शुरुआत
ज्योतिषियों ने भविष्यवाणी की थी कि सिद्धार्थ या तो महान सम्राट होंगे या महान संन्यासी। राजा ने सिद्धार्थ को महल में ही रखा लेकिन सिद्धार्थ की करुणा उन्हें नई यात्रा पर ले गई।

निरंजना नदी के तट पर तपस्या
छह वर्षों की साधना के बाद भी गौतम की जिज्ञासा शांत नहीं हुई। वे निरंजना नदी के किनारे तप और ध्यान में लग गए। एक रात उन्हें लगा कि शरीर को कष्ट देने से कुछ नहीं मिलेगा। उन्होंने नदी में स्नान किया और उरुवेला गांव की ओर चले। रास्ते में बेहोश हो गए और सुजाता नामक स्त्री ने उन्हें खीर खिलाई।

पीपल के वृक्ष के नीचे समाधि
गौतम ने पीपल के वृक्ष के नीचे ध्यान लगाकर समाधि ली। चार सप्ताह के ध्यान के बाद, उन्हें संसार के दुखों और उनके निवारण का ज्ञान प्राप्त हुआ। इसके बाद, वे वाराणसी के सारनाथ में मृगदाय गए।

बुद्ध का संदेश

अष्टांगिक मार्ग का महत्व
पहले तो पांच भिक्षुओं ने बुद्ध से बात नहीं की, लेकिन उनके चेहरे की आभा और वाणी ने उन्हें सुनने पर मजबूर कर दिया। बुद्ध ने समझाया कि संसार में दुख है, इसका कारण है, और इसका निवारण संभव है। निवारण का मार्ग अष्टांगिक मार्ग है। सत्य, अहिंसा, अपरिग्रह और ब्रह्मचर्य (व्यभिचार न करना) का पालन जरूरी है।

बुद्धम शरणम गच्छामि

भिक्षुओं को संबोधित करते हुए बुद्ध ने कहा, “सभी संस्कार अनित्य हैं। अपने लक्ष्य की प्राप्ति में लगे रहो।” यह कहकर उन्होंने आंखें मूंद लीं। वैशाख की पूर्णिमा की चांदनी शांति का संदेश दे रही थी और चारों ओर वातावरण में गूंज रही थी – “बुद्धम शरणम गच्छामि, धम्मम शरणम गच्छामि, संघम शरणम गच्छामि।”

बुद्ध पूर्णिमा के लिए शुभकामना संदेश

  1. “बुद्ध पूर्णिमा की हार्दिक शुभकामनाएं। बुद्ध के अष्टांगिक मार्ग पर चलें और अपने जीवन को शांति, प्रेम और करुणा से भरें।”
  2. “आपके जीवन में बुद्ध की शिक्षाओं का प्रकाश हमेशा बना रहे। बुद्ध पूर्णिमा की मंगलकामनाएं।”
  3. “बुद्ध पूर्णिमा के इस पावन अवसर पर, हम सभी के जीवन में सुख, शांति और समृद्धि आए। बुद्धम शरणम गच्छामि।”
  4. “बुद्ध पूर्णिमा के शुभ अवसर पर, हम सबके जीवन में सद्धर्म का मार्गदर्शन हमेशा बना रहे।”
  5. “इस बुद्ध पूर्णिमा पर, गौतम बुद्ध की करुणा और ज्ञान आपके जीवन को प्रकाशित करे। हार्दिक शुभकामनाएं।”
  6. “बुद्ध की शिक्षाएं आपके जीवन को नई दिशा दें और आपके हर कदम को सही मार्ग पर ले जाएं। बुद्ध पूर्णिमा की शुभकामनाएं।”
  7. “बुद्ध पूर्णिमा के पावन पर्व पर, बुद्ध की कृपा से आपके जीवन में सभी दुखों का निवारण हो और खुशियों का आगमन हो।”
  8. “इस बुद्ध पूर्णिमा पर, बुद्ध के सन्मार्ग पर चलकर अपने जीवन को सच्ची शांति और प्रसन्नता से भरें। शुभकामनाएं।”
  9. “बुद्ध पूर्णिमा की इस शुभ बेला पर, बुद्ध के आशीर्वाद से आपका जीवन मंगलमय हो।”
  10. “बुद्ध पूर्णिमा के पावन अवसर पर, हम सभी को बुद्ध की शिक्षाओं का अनुसरण करते हुए सद्धर्म की राह पर चलने की प्रेरणा मिले।”

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